प्रिंसेस एंजेलिक, एक स्वर्गीय दृष्टि, आत्म-आनंद में लिप्त है, उसकी उंगलियां उसकी तंग पर नृत्य करती हैं, सिलवटों को आमंत्रित करती हैं। जब वह अपनी गहराइयों की खोज करती है तो उसकी कराहें गूंजती हैं, उसका चेहरा शुद्ध परमानंद को दर्शाता है। यह स्वर्गीय चूत का खेल एक दिव्य तमाशा है।